सूर्य जिस समय वृष राशि में गोचर करेगा, उस क्षण वृष संक्रांति होगी.
सूर्य देव 14 अप्रैल से मेष राशि में विराजमान हैं, इसके बाद वे वृष राशि में गोचर करेंगे. सूर्य देव जिस क्षण वृष राशि में प्रवेश करेंगे, उस समय सूर्य की वृष संक्रांति होगी. उस दिन से सौर कैलेंडर का दूसरा माह वृष शुरू हो जाएगा. सूर्य के वृष राशि में गोचर करने से सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ेगा. वृष संक्रांति के दिन स्नान-दान और सूर्य पूजा करने का महत्व है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी बता रहे हैं कि सूर्य गोचर कब है? वृष संक्रांति कब है और महा पुण्यकाल क्या है? स्नान और दान का समय क्या है?
कब है सूर्य गोचर 2023?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सूर्य का वृष राशि में गोचर 15 मई दिन सोमवार को दिन में 11 बजकर 58 मिनट पर होगा. 15 मई से 14 जून तक सूर्य देव वृष राशि में रहेंगे. उसके बाद 15 जून को वे शाम 06 बजकर 29 मिनट पर मिथुन राशि में गोचर कर जाएंगे.
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वृष संक्रांति 2023 समय
इस साल वृष संक्रांति 15 मई को मनाई जाएगी. वृष संक्रांति का क्षण 15 मई को दिन में 11:58 बजे है. वृष संक्रांति के पुण्यकाल और महापुण्यकाल में स्नान, दान और पूजा पाठ कर सकते हैं. इस दिन सूर्य की पूजा करने से कुंडली में ग्रह दोष दूर होता है.
वृष संक्रांति 2023 पुण्यकाल
वृष संक्रांति के पुण्यकाल का कुल समय 7 घंटे 3 मिनट का है. वृष संक्रांति का पुण्यकाल प्रात: 04 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ हो रहा है और यह दिन में 11 बजकर 58 मिनट तक रहेगा.
वृष संक्रांति 2023 महा पुण्यकाल
वृष संक्रांति के महा पुण्यकाल की कुल अवधि 2 घंटे 14 मिनट की है. वृष संक्रांति का महा पुण्यकाल सुबह 09 बजकर 44 मिनट से शुरू हो रहा है और इसका समापन दिन में 11 बजकर 58 मिनट पर होगा.
वृष संक्रांति 2023 स्नान-दान और सूर्य पूजा
वृष संक्रांति का स्नान और दान प्रात:काल से शुरू हो जाएगा. इस दिन आप पवित्र नदियों में स्नान करें और पितरों को जल से तर्पण दें, उनके लिए दान करें. ऐसा करने से पितृ दोष दूर होगा. नदी स्नान संभव न हो तो घर पर ही स्नान करके पितरों को तृप्त करें.
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वृष संक्रांति स्नान के बाद सूर्य देव को जल से अर्घ्य दें और पूजा करें. सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें. सूर्य चालीसा और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें. उसके बाद सूर्य देव की आरती करें. पूजा के बाद अपनी क्षमता अनुसार दान दें. इस दिन गुड़, गेहूं, तिल, लाल वस्त्र, फल आदि का दान कर सकते हैं.
वृष संक्रांति का महत्व
1. वृष संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने से कुंडली का सूर्य दोष दूर हो जाता है.
2. संक्रांति को स्नान के बाद पितरों का जल से तर्पण करके उनको प्रसन्न कर सकते हैं.
3. पितरों के निमित्त दान करने से भी पुण्य और आशीर्वाद मिलता है.
4. सूर्य देव से जुड़ी वस्तुओं का दान करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है.
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Tags: Astrology, Dharma Aastha
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