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अतीक-अशरफ हत्याकांड की परतें खुलना अभी बाकी हैं, लेकिन इन सब के बीच एक अहम चर्चा इस बात की भी हो रही है कि उमेश पाल हत्याकांड में पूछताछ के दौरान सफेदपोशों का नाम लेना माफिया और उसके भाई के लिए काल तो नहीं बन गया। रिमांड पर लिए जाने के बाद जिस तरह माफिया ने बड़े लोगों के नाम गिनाने शुरू किए थे, उससे कई रसूखदारों की नींव हिलने का खतरा पैदा हो गया था।
माफिया से रिश्ते की आंच कुछ मंत्रियों, नेताओं और अफसरों तक भी पहुंचने की आशंका थी। इसी वजह से कस्टडी रिमांड पूरी होने से दो दिन पहले ही अतीक और अशरफ को भाड़े के शूटरों की मदद से हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया गया। माफिया की मौत के साथ ही प्रयागराज से पूर्वांचल तक फैले काली कमाई के कारमानों के बड़े राज भी दफन हो गए हैं।
कई नेताओं और कारोबारियों से संबंधों का किया था खुलासा
माफिया अतीक और अशरफ को कस्टडी रिमांड पर लिए जाने के बाद से ही प्रदेश में कई रसूखदारों की सांसें अटकने की बात कही जा रही है। 13 अप्रैल की रात 10 बजे धूमनगंज पुलिस अतीक-अशरफ को नैनी सेंट्रल जेल से पूछताछ के लिए थाने ले गई थी। पहली रात ही भोर में तीन बजे तक दो शिफ्ट में हुई पूछताछ में उस दिन उमेश पाल की हत्या से जुड़े सवालों पर दोनों भाई कन्नी काटते रहे। लेकिन 14 अप्रैल को रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े कई बड़े बिल्डरों, राजनीतिक पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले होटल कारोबारी के अलावा कार शो रूम मालिक के अलावा कुछ अफसरों और नेताओं के भी नाम अतीक ने गिनाए थे।
15 करीबियों के ठिकानों पर मारे गए थे छापे
इसमें शहर के सबसे बड़े बिल्डर विनायक ग्रुप के मालिक संजीव अग्रवाल, पूर्वांचल भर में बड़े मॉल, शॉपिंग कॉम्पलेक्स और आवासीय परियोजनाएं चलाने वाले नामचीन बिल्डर मुहम्मद मुस्लिम, खालिद जफर, कार शो रूम संचालक अमित भार्गव, बिल्डर अमित गोयल समेत 45 से अधिक बड़े लोगों के नाम शामिल थे। ईडी इससे पहले अतीक के 15 करीबियों के ठिकानों पर छापे मार कर कई संपत्तियों के दस्तावेज और रिकार्ड अपने कब्जे में ले चुकी थी।
ऐसे में अतीक-अशरफ को ईडी की रिमांड पर लिए जाने को लेकर रसूखदारों की मुसीबत बढ़ने वाली थी। पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक की आवासीय परियोजनाओं और बेनामी कंपनियों में अतीक की काली कमाई को लगाने वालों की भी जड़ें हिलने की बात कही जा रही है। इससे बड़े लोगों तक अतीक के रिश्ते की आंच पहुंचने की आशंका पैदा हो गई थी। सूत्रों का कहना है कि यही वजहें अतीक और अशरफ की जिंदगी के लिए काल बन गईं। अंतत: फिल्मी अंदाज में अतीक के आतंक का अंत हो गया।
मंत्री को पांच करोड़ रुपये देने की आई थी बात
उमेश पाल की हत्या के बाद माफिया अतीक अहमद प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी को पांच करोड़ रुपये देने की बात कह चुका था। तब प्रेस कांफ्रेंस के जरिये माफिया की बहन आयशा नूरी ने कहा था कि साबरमती जेल में वह अपनी भाभी शाइस्ता के साथ जब भाई से मिलने के लिए गई थी, तब अतीक ने कहा था कि शाइस्ता मेरे पांच करोड़ रुपये नंदी से वापस मंगवा लो। वह मेरा फोन नहीं उठा रहे हैं। हालांकि मंत्री नंदगोपाल गुप्ता आयशा के इस आरोप को मनगढ़ंत बता चुके हैं।
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