कोलकाता का पैट मेमोरियल स्कूल, जो आईसीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूल है.
देश में स्कूली शिक्षा के लिए राज्यों के अपने-अपने बोर्ड हैं. इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) है. इन बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों से हर साल करोड़ों बच्चे 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास करते हैं. मगर, इन चर्चित बोर्ड्स से इतर देश में एक और बोर्ड है, जिसे देसी अंग्रेजों का बोर्ड कहा जाता है. इस बोर्ड की पढ़ाई सीबीएसई और स्टेट बोर्ड से काफी अलग है. इस बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों से 10वीं-12वीं पास करना अपेक्षाकृत कठिन माना जाता है. इतना ही नहीं इन स्कूल में केवल और केवल अंग्रेजी माध्यम से ही पढ़ाई हो सकती है. यहां अंग्रेजी विषय पर विशेष जोर दिया जाता है. इसी कारण इसे देसी अंग्रेज बच्चों का स्कूल कहा जाता है.
हम जिस बोर्ड की बात कर रहे हैं उससे 12वीं करने वाले बच्चों का सीधे ब्रिटेन के कॉलेजों में दाखिला हो सकता है. ब्रिटिश सरकार इस बोर्ड को अपने देश के बोर्ड के बराबर का दर्जा देती है. ऐसे में इस बोर्ड से पास बच्चों के लिए विदेश जाने का रास्ता सीधे खुल जाता है. हम जिस बोर्ड की बात कर रहे हैं उसका नाम है काउंसिल फॉर इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (Council For The Indian School Certificate Examinations). इसे शॉर्ट फॉर्म में इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन (Indian Certificate of Secondary Education) यानी आईसीएसई कहा जाता है. इस बोर्ड की स्थापना 1960 के दशक में हुई. उस वक्त तक देश में कैंब्रिज स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (Cambridge School Certificate Examination) चलता था.
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कैंब्रिज स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन मुख्य रूप से एंग्लो-इंडियन बच्चों के लिए था. इस बोर्ड की जगह आईसीएसई बोर्ड बना. भारत में रहने वाले अंग्रेज पुरुष और भारतीय महिलाओं से पैदा होने वाले बच्चों को एंग्लो-इंडियन कहा जाता है. आजादी के वक्त इस समुदाय की आबादी करीब 2 करोड़ थी और यह समुदाय काफी प्रभावी था. ऐसे ही बच्चों को अंग्रेजी संस्कृति और शिक्षा प्रदान करने के लिए कैंब्रिज स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन होता था जिसे आजादी के बाद बदलकर काउंसिल फॉर इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन कर दिया गया.
बंगाल में 353 आईसीएसई बोर्ड स्कूल
आज की तारीख में देश के करीब-करीब सभी राज्यों में इस बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूल हैं. बिहार में इस बोर्ड से मान्यता प्राप्त 31 स्कूल हैं, जिसमें से 17 तो केवल पटना में और 7 भागलपुर में हैं. इसी तरह झारखंड में 88, उत्तर प्रदेश में 46, राजस्थान में 13, छत्तीसगढ़ में पांच और पश्चिम बंगाल में 353 स्कूल है. दक्षिण के राज्यों की बात करें तो तमिलनाडु में 76, आंध्र प्रदेश में 51, तेलंगान में 36, केरल 145 और कर्नाटक में 287 स्कूल हैं. हिंदी भाषी क्षेत्र में अपेक्षाकृत इस बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या कम है. हरियाणा में केवल 20 और हिमाचल प्रदेश में ऐसे 24 स्कूल हैं. ओडिशा में 92 आईसीएसई बोर्ड स्कूल हैं.
अंग्रेजी पर विशेष जोर
इस बोर्ड से मान्यता प्राप्त करने के लिए स्कूल की पहली शर्त है कि पूरी पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम में होनी चाहिए. इन स्कूलों में अंग्रेजी ग्रामर और साहित्य पर विशेष जोर दिया जाता है. इसके साथ ही छात्रों को ज्यादा से ज्यादा प्रेक्टिल नॉलेज दिए जाते हैं. वहीं सीबीएसई बोर्ड का पाठ्यक्रम काफी हद तक साइंस और सोशल साइंस पर फोकस कर तैयार किया गया है. आईसीएसई का सिलेबस सीबीएसई की तुलना में ज्यादा व्यापक होता है.
इसी कारण इसकी 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं तुलनात्कम रूप से देश के किसी भी बोर्ड परीक्षा से ज्यादा कठिन है. इसके साथ ही आईसीएसई में अंग्रेजी विषय पर ज्यादा जोर दिया जाता है. ऐसे में यहां पढ़ने वाले छात्र आसानी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंग्लिश टेस्ट की परीक्षाएं जैसे TEOFL और IELTS पास कर जाते हैं. वहीं सीबीएसई बोर्ड छात्रों को NEET-JEE जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करता है.
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