रिपोर्ट : शशिकांत ओझा
पलामू. पलामू में किसान अपनी आय बढ़ाने और फसल से मुनाफा कमाने में तरह-तरह के प्रयोग करते रहते हैं. पारंपरिक खेती के अलावा किसान पेड़ लगाकर भी लाखों रुपए कमा लेते हैं. वहीं कई ऐसे दुर्लभ पेड़ हैं जिसकी लकड़ी काफी महंगी बिकती है. इन्हीं में से एक है सफेद चंदन. पलामू प्रमंडल में 200 से अधिक है चंदन के पेड़ हैं.
पलामू जिले के रहनेवाले पर्यावरणविद, पर्यावरण धर्मगुरु और वनराखी मोमेंट के प्रणेता कौशल किशोर जयसवाल ने पर्यावरण बाग में पहला सफेद चंदन का पेड़ लगाया था. आज इस पेड़ की उम्र 10 साल से भी अधिक हो गई है. आसपास के लोग अर्घ्य देकर, कच्चा सूता बांधकर चंदन के पेड़ की पूजा करते हैं. मान्यता है कि किसी भी पूजा में चंदन की लकड़ी की आवश्यकता होती है.
साधु, महात्मा और पंडित चंदन को अपने माथे पर लगाते हैं. चंदन का पेड़ ठंडा होता है. इसे माथे पर लगाने से माथा ठंडा रहता है. कौशल किशोर बताते हैं कि पलामू प्रमंडल में उन्होंने सफेद चंदन के 3000 पौधे बांटे थे. चंदन के पेड़ लगाने की विधि सभी को नहीं मालूम है. इसीलिए पलामू में 200 के आसपास पेड़ बचे रह पाए. ये पौधे तमिलनाडु और कर्नाटक से लाए गए थे. इनमें से 150 पौधे जैविक उद्यान डाली पंचायत में लगाए गए थे. इसके अलावा पांकी रोड स्थित कई जगहों पर भी लगाया गया था. एक पौधा पर्यावरण भवन में अब भी मौजूद है.
वर्ष 2017 से पहले चंदन की खेती पर प्रतिबंध था. इसकी खेती के लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी. अब यह प्रतिबंध हटा दिया गया है. वैसे यह जानना जरूरी है कि चंदन की खेती के लिए अब आपको डीएफओ को महज इसकी सूचना देनी होती है ताकि प्रशासन की नजर में रहे कि आप चंदन की खेती कर रहे हैं. लेकिन इसकी कटाई के समय सरकार से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना आवश्यक है.
सफेद चंदन का पौधा परजीवी होता है. इसीलिए इसे अकेला नहीं लगाया जा सकता. इसे सहायक पौधे की जरूरत होती है. यदि इसे अकेला लगाते हैं तो पौधा कुछ ही दिनों में मर जाता है. इसके प्राथमिक साथी के रूप में आप लाल चंदन, कैजुराइना, देसी नीम का प्रयोग कर सकते हैं. सेकेंडरी होस्ट के रूप में मीठा नीम और सहजन के पौधे भी इसे लगा सकते हैं. चंदन के साथ लगाए इन पेड़ों से भी आप अच्छा लाभ उठा सकते हैं. सफेद चंदन की ऊंचाई 18 से 25 फिट होती है. इसे तैयार होने में 13 से 15 साल लगता है.
सफेद चंदन का इस्तेमाल औषधि बनाने में होता है. जॉन्डिस जैसी बीमारी को दूर करने में चंदन लाभदायक होता है. इसके साथ इसका प्रयोग साबुन, अगरबत्ती, कंठी माला, फर्नीचर, लकड़ी के खिलौने, परफ्यूम, हवन सामग्री और विदेशों में फूड में किया जाता है.
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Tags: Farming, Jharkhand news, Palamu news
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